मेरे सृजनात्मक जुड़ाव से परिचित मित्रों का लंबे समय से आग्रह था कि मैं भी अपना कोई ब्लॉग शुरू करुँ। आज दीपावली के अगले दिन अन्नकूट की सुबह इसका योग बना। पहले जब तक इस मध्यम से अपरिचित था तब तक बड़े असमंजस चलते रहे। इस समय पहली बात करते हुए आनंद आ रहा है।
आपसे सिनेमा और संस्कृति की बात करते हुए सदा अच्छा लगा करेगा।
मिलता रहूँगा।
आभार।
सुनील मिश्र
शनिवार, 17 अक्तूबर 2009
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